Tuesday, October 29, 2013

फेस बुक की एक पोस्ट



फेस बुक की एक पोस्ट
भगीरथ

फेसबुक की न्यूजफ़ीड पर एक फ़्रेंड  ने एक युवती का फोटो पोस्ट किया। जींस और टांप पहने,
एक हाथ में सुलगती सिगरेट और दूसरे हाथ में थमी बोतल ओठों से लगाकर सुरापान कर ती हुई।कुछ ही मिनटों मे 312बार लाइक बटन दब गया,पचास लोगों ने शेयर किया चालीस लोगों ने कमेंट किया।कमेंट सभी पुरुष मित्रों के थे। कमेंट कुछ इस प्रकार थे-
-नाइस पिक्चर
-वाह! क्या बात है
-नौटी गर्ल
-दो घुंट पिला दे साकिया
-क्या मस्त लौंडिया है!
-बिंदास बिल्लोरानी
-पी पी के बोतल खतम कर दित्ति
-खाली हो गई अब रख दे
-दो घूंट जिन्दगी की
-नाईस बट्स
-अब हमें भी साथ लेलो डार्लिंग
-मेरे नाल भी तो थोडी पी लो
-कौन है यह कमीनी
-ओ भेन दी---देसी दारू दा मोटा पेग और नाले सुट्टे
-वाह मेरे उस्ताद बेवडे
-एक घूंट तो बचा दे कम से कम
-गुड जौब एंजोय एवरी मोमेंट ओफ़ लाइफ
-जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,पीओ पिलाओ लाइफ बनाओ, कैरी औन बेबी
-गो अहेड ओफ बोइज
-किसके गम में पीना शुरू किया
-मैं हूं ना, गम दी कोई लोड नहीं, लव यू बेबी
-अरे मामू क्यों बना रही है,बोतल खाली है
-खाली क्यों भरी हुई पियो
-इस तरह की लडकियों ने सारी लडकियों का नाम खराब कर दिया है
-भारतीय संस्कृति और परिवार का क्या बनेगा कीमा या भुर्ता
-जहां मिले मुंह काला करो
-यार एक पेग मेरे लिये भी
-हम भी जोईन कर लें
-अकेले अकेले डार्लिंग हम भी तो है
-ज्यादा ना पी।धुम्रपान करना गलत बात है
-देखो लडकियों सुधर जाओ
-अकेले अकेले पी रहे हो मेरे साथ भी पिओ कभी
-बीवेयर ओफ सच गर्ल्स
-सुधर जा बेवडी
-मेरी गोदी मे आ जाओ डार्लिंग फिर पिओ पिलाओ
-चलो चांद के पार चलो
-खतरनाक लडकियां
  आखिर में फोटो पेस्ट करने वाली दोस्त का मोटे अक्षरों में कमेंट था-
-दारू पीती और सुट्टे लगाती लडकी क्या सडक पर पडा माल है जो उठा लोगे ,और उससे मनचाहा व्यवहार करोगे। हमें सुधारोगे ?पहले तुम लोग सुधर जाओ।
     

Tuesday, January 15, 2013

अवनीश सिंह चौहान को सृजनात्मक साहित्यपुरस्कार



जयपुर। सोमवार। 07 जनवरी को जयपुर के भट्टारकजी की नसियां स्थित
इन्द्रलोक सभागार में पं. झाबरमल्ल शर्मा स्मृति व्याख्यान समारोह का
भव्य आयोजन किया गया। आयोजन का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष जनरल
वी.के. सिंह जी और गुलाब कोठारी जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इस
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल
वी.के. सिंह रहे जबकि पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी जी ने
कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

 तत्पश्चात जनरल वी के सिंह जी और गुलाब कोठारी जी के कर-कमलों से अवनीश
सिंह चौहान को सम्मानित किया गया। पत्रिका का वार्षिक 'सृजनात्मक साहित्य
सम्मान-2013 के अंतर्गत श्री चौहान को 11000 रू. नकद, सम्मान पत्र और
श्रीफल प्रदान किया गया। राजस्थान पत्रिका की ओर से हर साल दिए जाने वाले
सृजनात्मक साहित्य पुरस्कारों की घोषणा पहले ही कर दी गई थी। कविता में
पहला पुरस्कार युवा कवि अवनीश सिंह चौहान के गीतों को दिया गया। इटावा
में जन्मे अवनीश सिंह चौहान युवा कवियों में अपना अहम स्थान रखते हैं।
हमलोग परिशिष्ट में प्रकाशित उनके तीन गीत- 'किसको कौन उबारे', 'क्या कहे
सुलेखा' तथा 'चिंताओं का बोझ- ज़िन्दगी' आम आदमी के संघर्ष और रोजी-रोटी
के लिए उसके प्रयासों को रेखांकित करते हैं और भी कई अनकही पीड़ाओं को
बयां करते हैं उनके गीत। अब अवनीश के ये गीत उनके सधः प्रकाशित संग्रह
'टुकड़ा कागज़ का' में संकलित हैं।

इस अवसर पर अपने वक्तव्य में जनरल सिंह ने कहा- "दिनकर जी की रचनाएँ आज
भी उन्हें प्रेरणा देतीं हैं। कविताओं में जीवन को सुन्दर बनाने की शक्ति
होती है।" कोठारी जी ने कहा- "आज लोग संवेदनहीन हो गए हैं उनमें सम्वेदना
जगाने की जरूरत है।"

उल्लेखनीय है कि इस साल कविता में दूसरा पुरस्कार प्रीता भार्गव को दिया
गया। कहानी में पहला पुरस्कार राहुल प्रकाश को तथा दूसरा पुरस्कार कथाकार
मालचंद तिवाड़ी को दिया गया। पुरस्कार पत्रिका समूह के परिशिष्टों में
वर्ष भर में प्रकाशित कविताओं और कहानियों के लिए दिए जाते हैं। इस साल
कहानी और कविता के निर्णायक मंडल में मशहूर व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी,
प्रसिद्ध कथाकार हबीब कैफी और प्रफुल्ल प्रभाकर तथा जस्टिस शिवकुमार
शर्मा, अजहर हाशमी और प्रोफेसर माधव हाड़ा थे। पत्रिका समूह की ओर से दिए
जाने वाले सृजनात्मक साहित्य पुरस्कारों के क्रम में यह सत्रहवें
पुरस्कार हैं। ये पुरस्कार 1996 से शुरू किये गये थे।

इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले
राजस्थान पत्रिका के पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम
में शहर के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। विशेष सहयोग रहा आनंद जोशी,
चाँद मोहम्मद, डॉ दुष्यंत, शालिनीजी एवं वर्षाजी का रहा और आभार
अभिव्यक्ति सुकुमार वर्मा ने की।