Thursday, October 23, 2014

'पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार


 'पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार 

 'पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार दिशा प्रकाशन ,दिल्ली से प्रकाशित हो गया है इस खण्ड का संपादन भगीरथ ने किया है इसमें लघुकथा लेखक
अशोक भाटिया ,पृथ्वीराज अरोड़ा ,माधव नागदा ,मोहनराजेश ,श्यामसुन्दर अग्रवाल व सुभाष नीरव की लघुकथाओं पर चर्चा की गई है। चर्चाकार
क्रमशः बी एल आच्छा ,रूपदेवगुण ,योगेन्द्र नाथ शुक्ल ,मलय पानेरी , श्याम सुन्दर दीप्ति व बलराम अग्रवाल है उमेश महादोषी का महत्वपूर्ण
लेख 'स्थापना चरण से आगे लघुकथा विमर्श 'और सूर्यकांत नागर का सभी लघुकथा लेखकों की इस खण्ड में संकलित लघुकथाओं पर अपनी
समीक्षा प्रस्तुत की है। जगदीश कश्यप का लेख 'हिंदी लघुकथा :ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ' भी सम्मिलित कर यह  पुस्तक और भी मूल्यवान
हो गई है। अब ये पाठकों के हाथों में है असली मूल्यांकन तो पाठक  ही करता है। इस  श्रृंखला का के संयोजक मधुदीप है जिन्होंने कम से कम
२० खंड की योजना पूरी कर ली है और सात खंड प्रकाशित हो चुके है इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए वे बधाई के पात्र है 

Thursday, July 3, 2014

उर्दु में डाँ शुक्ल की लघुकथाएं





हिन्दी - उर्दु गंगा जमुनी भाषा की सेतु डाँ शुक्ल की लघुकथाएं

इन्दौर ! 22 जून 2014जून ! "मंत्र छोटा होता है परन्तु विश्वास के साथ फ़ल देता है डा योगेन्द्रनाथ शुक्ल की लघुकथाएं भी ऐसी होती है जो आकार में छोटी है लेकिन उनमें राष्ट्र, समाज और मानव आरोह - अवरोह के साथ चित्रित हुए है ! ये लघुकथाएं हिन्दी - उर्दू गंगा जमुनी की सेतु बन गयी है !" उक्त उदगार राष्ट्रीय कवि श्री सत्यनारायण सत्तन ने डा हदीस अंसारी (एसोसिएट प्रोफ़ेसर , मोहनलाल सुखाडिया विश्व उदयपुर) द्वारा उर्दु में अनुदित डा शुक्ल की 121 लघुकथाओं की किताब 'बदलते पैमाने' के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किये! आय के महाविद्यालय के हिन्दी और उर्दू विभाग के सयुंक्त तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में महत्मा गांधी विश्व चित्रकूट के भू पू कुलपति डा नरेन्द्र वीरमानी ने कहा कि भाषाई एकता के लिए अनुवाद एक महत भूमिका निभाता है ! डा शुक्ल की लघुकथाएं राष्ट्र की जडो से जुडी हुई है ! वह पाठक को संस्कारित करती है ! उन्हें राष्ट्र की मिट्टी से जोड़ती है! विशिष्ट अतिथि के रूप में देवी अहिल्या विशो- के भू पू कुलपति प्रो ए ए अब्बासी ने अनुवाद की प्रशसा करते हुए कहा कि डा शुक्ल समाज की नब्ज पर हाथ रखे हुए है और इस तरह वे लेखकीय पैमाने पर खरे उतरते है ! उनका व्यंग्य लघुकथा की मारक क्षमता को और अधिक बडा देता है ! आय के सोसायटी के सचिव प्रो मोहम्मद हलिम खान ने कहा कि डा हदिस अंसारी ने हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं के पाठकों को जोड्ने का जो भागीरथी प्रयास किया है, वह प्रंशसनीय है ड्क शुक्ल ने सभी के प्रति क्रतग्यता ग्यापित करते हुए 'कद' , 'बडे गिध्ध' , इर्ष्या' और बद्लते पैमाने' लघुकथाएं सुनायी, जिनका उर्दू अनुवाद डा हदीस अंसारी ने प्रस्तुत किया ! कार्यक्रम की शुरुआत सूफी संत रफीद खान ने कुरआन जू आयते सुनाकर की ! प्रो आयशा अजीज ने ख्यात साहित्यकार डा सादिद की भूमिका का वाचन किया तथा वरिष्ठ शायर श्री रशीद इन्दौरी ने किताब पर अपने विचार व्यक्त किये! अत्तिथियों का स्वागत डा ए ए खान , प्रो जाकिर हुसैन 'जाकिर' प्रो बी के राठी ने किया ! हिन्दी परिवार और हिन्दी साहित्य समिति द्वारा लेखक द्वय का स्वागत सदाशिव कौतुक, प्रदीप नवीन , अरविन्द ओझा ने किया ! आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार सुर्यकान्त नागर , राशिद शादानी , जवाहर चौधरी , डा पुरुषोत्तम दुबे , डा अर्चना जोशी , प्रतापसिंह सोडी , रमेशचन्द पडित , सुरेश शर्मा , वेद हिमांशु , अजीज अंसारी , सूफी मोहसिन , नसीर , इन्दौरी  पदमा राजेन्द्र , फरियाद बहादुर के साथ - साथ इन्दौर क्रिशिचन महाविद्यालय , निर्भय सिंह पटेल विज्ञान महाविद्यालय , होलकर महाविद्यालय , अटल बिहारी वाजपेयी महाविद्यालय , माता जीजाबाई स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापक मौजूद थे ! कार्यक्रम का संचालन हरेराम वाजपेयी ने तथा आभार आय के महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो एम के झवर ने माना !

Sunday, March 23, 2014

आलोक कुमार सातपुते की कथाए



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