Saturday, October 29, 2011

शहीद होने की घोषणा


 भगीरथ

आज
उसके समानान्तर
चल रहा है मौत का शिकंजा
खूनी पंजा ! कुर्सियों से उठी हुई
प्रेतात्माएं पूरे   शमशान     में  
 चीखतीं /चीत्कारती डोल रही है।

  और वह मेमने सा भयभीत / आंतंकित होकर
            
/ शक्ति संचित करने की  कोशिश
करता है  लेकिन वे प्रेततात्माएं एक जादुई शक्ति से
उसके खून को स्याही सोंख की तरह
चूस लेती है
और वह स्याह मौत का
इन्तजार करने लगता है।
लेकिन, नहीं वे उसे जिंदा रखेंगे।
किसी भी कीमत पर्‌ वरना
उनके जीने का कोई अर्थ नहीं रहेगा।
वे नित नयी योजनाएं -घोषणाएं
आकाशवाणी से प्रसारित करते रहेंगे - उसके स्वास्थ्य
की बाबत! या निकालेंगे जुलूस  या
करेंगे क्रांति की बात! किन्तु
इस बीच अनचाहे ही कुछ लोग
सांसे तोड़ देंगे । बिना पूर्व सूचना के ही ।
खडा कर दिया जायेगा कटघरे में  
या
उनकी मौत को शहीदाना करार दे कर
उन्हें बडी - बडी श्रद्धांजलियां दी जाएंगी।
तब हम भी
उस दिव्य वातावरण में  
उनकी आत्मा को शांति मिले
जैसी कामनाएं, शोक - संवेदना व्यक्त करके
अपने मानवीय दायित्व से मुक्ति पा लेंगे।